सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा सरकार का तर्क, केवल 90 सैकिंड सुनी गई बात

सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा सरकार का तर्क, केवल 90 सैकिंड सुनी गई बात

सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा सरकार का तर्क

सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा सरकार का तर्क, केवल 90 सैकिंड सुनी गई बात

हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची हरियाणा सरकार

निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत रोजगार आरक्षण मामला

चंडीगढ़, 4 फरवरी। पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट द्वारा प्रदेश में निजी क्षेत्र में स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए लागू हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोजगार अधिनियम, 2020 पर अंतरिम रोक लगाने के आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई सोमवार 7 फरवरी को तय की गई है।
प्रदेश सरकार ने हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोजगार अधिनियम, 2020 राज्य के युवाओं के लिए निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है। फरीदाबाद औद्योगिक एसोसिएशसन ने सरकार के इस फैसले को चुनौती दी थी। जिसके चलते हाईकोर्ट द्वारा बृहस्पतिवार को इस फैसले पर स्थगन आदेश जारी कर दिया गया।
हरियाणा सरकार ने युवाओं को निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के लिए छह नवंबर 2021 को यह कानून पास किया था। जिसे 15 जनवरी 2022 से लागू कर दिया गया। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस एन.वी.रमना की बैंच के समक्ष इस मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश जारी करने से पहले महज 90 सैंकिंड के लिए सरकार के तर्क सुने। इतनी कम अवधि में इतने गंभीर मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। हरियाणा सरकार ने कहा है कि हाईकोर्ट ने उनका पक्ष सुने बगैर ही फैसला दे दिया। हरियाणा सरकार की तरफ से तुषार मेहता ने सात फरवरी को सरकार का पक्ष सुनने की अपील की